हिन्दुस्तान के बादशाह के हुक्म से
सड़कों पर नचाया जा रहा है मुझे
मेरा नाच दिखाने के लिए मुनादी कराकर
पहले भीड़ जुटाई जाती है,
फिर नाचने के लिए धकेल दिया जाता है
मुझे उसके बीच
रुक- रुककर गलियों और चौराहों पर
नाचने को मजबूर मैं बादशाह के शत्रु राज्य की
रक़्क़ासा नहीं जिसने होकर क्षुब्ध
राज्य की पराजय से अपने
बादशाह के दरबार में नाचने से
कर दिया हो मना और जिसे
सज़ा दी गई हो सड़कों पर नचाए जाने की
मैं रायसीन की राजकुमारी हूं, जिसके पैरों में
बादशाह के हुक्म से घुंघरू बांध दिए गए हैं... कविता की यह पंक्तियां पवन करण के कविता- संग्रह 'स्त्रीमुग़ल' में मौजूद पद्मावती कविता से ली गई हैं. इस संग्रह को राजकमल प्रकाशन के सहयोगी उपक्रम राधाकृष्ण पेपरबैक्स ने प्रकाशित किया है. कुल 214 पृष्ठों के इस संग्रह का मूल्य 299 रुपए है. अपनी आवाज़ से कविताओं, कहानियों को एक उम्दा स्वरूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार और लेखक संजीव पालीवाल से सुनिए इस संग्रह की चुनिंदा कविताएं सिर्फ़ साहित्य तक पर.