- मूल्यों का अर्थ क्या है?
- तकनीक का मूल्य से कोई नाता है क्या?
- अध्यात्म कैसे जुड़ा है काम से?
- गिनती से दर्शन को कैसे समझें?
- जीरो को अपनाने के लिए यूरोप में गाली-गलोच क्यों हुई?
- पर्यावरण और व्यापार एक जैसे कैसे?
- सिस्टमिक वैल्यू क्या है?
ऐसे बहुतेरे सवाल और उनके जवाब आपको मिलेंगे सोमिक राहा से हुई इस बतकही में, जो 'साहित्य तक' स्टूडियो में हमारे खास कार्यक्रम 'शब्द-रथी' में मौजूद हैं. सोमिक राहा पिछले दो दशक से पश्चिम में या कहें अमेरिका में प्रवास कर रहे हैं, पर उनका जन्म भारत के एक ऐसे परिवार में हुआ जहां गंभीर विमर्श और स्वतंत्र सोच को प्रोत्साहित किया जाता था. पिता के देश भर में हुए स्थानांतरण के चलते वे कई अलग-अलग उप-संस्कृतियों और दर्शनों के संपर्क में आए. सोमिक 12 साल की उम्र से कोडिंग कर रहे हैं और 15 साल की उम्र में ही उनमें पश्चिम और पूरब के दर्शन और उनमें छिपे चिंतन को समझने की दृष्टि आ गई थी. अपनी किशोरावस्था के आखिर में तकनीक की बढ़ती रफ्तार की ओर उनका ध्यान गया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से आकर्षित होकर पहले उसकी तरफ बढ़े. बाद में उनकी दिलचस्पी तकनीक के पीछे बैठे इंसानों की तरफ हुई और वे सदियों पुराने इस सवाल से जुड़ गए, कि आखिर मूल्य क्या है? तकनीक का उससे क्या रिश्ता है? जीवन में इसकी कितनी जरूरत है? आखिर हमें इस पर कितना ध्यान देना चाहिए? हमें इसमें कितना निवेश करना चाहिए?
सोमिक ने निर्णय विश्लेषक और एक जिज्ञासु इंसान के रूप में इस सवाल पर काम किया है, जो यह जानना चाहता है कि मनुष्य के लिए, तकनीक के लिए 'मूल्य' का क्या मतलब है? बैंगलोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर साइंस में स्नातक और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रबंधन विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग से मास्टर्स की डिग्री हासिल करने वाले सोमिक के शोध प्रबंध का शीर्षक था 'मूल्य पर स्पष्टता प्राप्त करना'. अपने प्रोफेसर और दूसरे वैज्ञानिकों, शिक्षकों की सलाह पर 12 वर्षों के शोध से उन्होंने एक किताब लिखी. जिसका नाम है 'Invaluable: Achieving Clarity on Value'. द राइट आर्डर पब्लिकेशंस से अंग्रेजी प्रकाशित इस पुस्तक का मूल्य है 701 रुपए. तो सुनिए सोमिक राहा से वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय की यह बौद्धिक बातचीत सिर्फ़ साहित्य तक पर.