इतिहास को फिर से देखने-लिखने की आवश्यकता, स्त्री को किसी जाति विशेष से जोड़कर न देखा जाना, युद्धों के इतिहास की पुनर्समीक्षा और स्त्री संघर्ष को अन्य संघर्षों से अलग रूप में देखने की सिफ़ारिश किन कारणों से की जाती रही है, इसका ज्वलंत उदहारण है प्रो. गरिमा श्रीवास्तव की डायरी- 'देह ही देश'.****
आज की किताबः देह ही देश
लेखक: गरिमा श्रीवास्तव
भाषा: हिंदी
विधा: यात्रा-डायरी
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
पृष्ठ संख्या: 198
मूल्य: 299
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.