बंद कर ली हमने अपनी आंखें उन्हें देख कर
अब किसी और सूरत की ख्वाईश नहीं
बहुत देर कर दी तुमने आने में
अब मेरी आंख खुलने की गुंजाईश नहीं... अखिलेश की शानदार कविता सुनें सिर्फ साहित्य तक पर.