कई अपेक्षाएं थीं और कई बातें होनी थीं... Badri Narayan की 'खुदाई में हिंसा' | Sanjeev Paliwal | Tak Live Video

कई अपेक्षाएं थीं और कई बातें होनी थीं... Badri Narayan की 'खुदाई में हिंसा' | Sanjeev Paliwal

कई अपेक्षाएं थीं और कई बातें होनी थीं

एक रात के गर्भ में सुबह को होना था

एक औरत की कोख से दुनिया बदलने का भविष्य लिये

एक बालक को जन्म लेना था

एक चिड़िया में जगनी थी बड़ी उड़ान की महत्वाकांक्षाएं


एक पत्थर में न झुकने वाले प्रतिरोध को और बलवान होना था

नदी के पानी को कुछ और जिद्दी होना था

खेतों में पकते अनाज को समाज के सबसे अन्तिम आदमी तक

पहुंचने का सपना देखना था


पर कुछ भी नहीं हुआ

रात के गर्भ में सुबह होने का भ्रम हुआ

औरत के पेट से वैसा बालक पैदा न हुआ

न जन्मी चिड़िया के भीतर वैसी महत्वाकांक्षाएं


न पत्थर में उस कोटि का प्रतिरोध पनप सका

नदी के पानी में जिद्द तो कहीं दिखी ही नहीं


खेत में पकते अनाजों का

बीच में ही टूट गया सपना

अब क्या रह गया अपना...ये कविता बद्री नारायण के कविता- संग्रह 'खुदाई में हिंसा' से ली गई हैं. इस संग्रह को राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. कुल 152 पृष्ठों के इस संग्रह का मूल्य 199 रुपए है. अपनी आवाज़ से कविताओं, कहानियों को एक उम्दा स्वरूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार और लेखक संजीव पालीवाल से सुनिए इस संग्रह की चुनिंदा कविताएं सिर्फ़ साहित्य तक पर.