तुम्हें खोने का शोक समंदर से भी बड़ा है... Alankrita Shah 'तुम्हें खोने का शोक' | Sanjeev Paliwal | Tak Live Video

तुम्हें खोने का शोक समंदर से भी बड़ा है... Alankrita Shah 'तुम्हें खोने का शोक' | Sanjeev Paliwal



मैं खुद के लिए लिखूंगी तो क्या लिखूंगी

अभी तक तो सिर्फ़ तुम्हें लिखती आई हूं


कुछ सालों का साथ और जीवन भर का विलाप

एक चंद्रमा मेरे पास था

जिसमें थोड़े बहुत दाग भी थे

फिर एक दिन अंजान तारे के हाथ में

मुझे सौंप कर उसे आज़ाद कर दिया

तब मैं क्या लिखूंगी?


फिर तो खुद के लिए लिखना पड़ेगा न?

क्या हो अगर वो कहे

कलम नहीं चलनी चाहिए

क्या हो अगर वो सारे पन्ने फाड़ दे

उस वक्त तुम्हारी बहुत याद आयेगी


तब मैं लिखूंगी

एक चंद्रमा मेरे ह्रदय में आज भी परिक्रमा करता है

मेरे साथ- साथ चलता है

जो मेरा अपना है


और तुम्हें खोने का शोक

समंदर से भी बड़ा है... यह कविता अलंकृता शाह के कविता- संग्रह 'तुम्हें खोने का शोक' से ली गई है. इस संग्रह को सन्मति पब्लिशर्स ने प्रकाशित किया है. कुल 107 पृष्ठों के इस संग्रह का मूल्य 125 रुपए है. अपनी आवाज़ से कविताओं, कहानियों को एक उम्दा स्वरूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार और लेखक संजीव पालीवाल से सुनिए इस संग्रह की चुनिंदा कविताएं सिर्फ़ साहित्य तक पर.