राम भारत की प्राणशक्ति हैं. राम धर्म हैं. धर्म ही राम हैं. मानव चरित्र की श्रेष्ठता और उदात्तता का सीमांत राम से बनता है. हर व्यक्ति के जीवन में हर कदम पर जो भी अनुकरणीय है, वह राम हैं. ऐसे राम अयोध्या में फिर लौट आए हैं. अपने भव्य, दिव्य और विशाल मंदिर में, जिसके लिए पांच सौ साल तक हिंदू समाज को संघर्ष करना पड़ा. यह मंदिर सनातनी आस्था का शिखर है. और हेमंत शर्मा की 'राम फिर लौटे' पुस्तक इसी गवाक्ष से रामतत्त्व, रामत्व और पुरुषोत्तम स्वरूप की विराटता को नए संदर्भ में देखती है.
हेमंत शर्मा की इस पुस्तक से पहले 'अयोध्या का चश्मदीद' और 'युद्ध में अयोध्या' नामक कृतियां प्रकाशित हो चुकी हैं, जो कि राम मंदिर के हर बारीक पहलू पर नजर डालती है.
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आज की किताबः 'राम फिर लौटे'
लेखक: हेमंत शर्मा
भाषा: हिंदी
प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन
पृष्ठ संख्या: 304
मूल्य: 350 रुपए
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.