किस ओर जाऊंगा मैं, सावधान पूरी तरह?
बहते पानी की तरह भटकता?
क्या बढ़ाऊंगा क़दम बचता चट्टानों भरे पहाड़ से
या लगाऊंगा छलांगें राह में आई चट्टनों पर से?
और कोई रास्ता नहीं मेरी सूझ में।
केवल दुख लदा है मेरे दिल पर।
शायद रात्रि वर्षा हो
मेरी तरह भटकती अंतहीन |
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आज की किताबः किम सोवल की कविताएँ
कोरियाई भाषा से चयन और हिंदी अनुवाद: दिविक रमेश
भाषा: हिंदी
विधा: कविता
प्रकाशक: साहित्य अकादेमी
पृष्ठ संख्या: 108
मूल्य: 160
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.