ये किताब भारतीय सिनेमा का एक ऐसा दस्तावेज़ है जो हमें हमारे फिल्मी यादों के सुनहरे दौर में ले जाता है. लेखक श्रीधर अग्निहोत्री हमें हर उस कलाकार से जोड़ते हैं जो कभी हमारे दिलों में बसते थे और आज भी दिल के किसी कोने में कहीं जीवित हैं. डॉ मनीष शुक्ल इसकी भूमिका में ये दावा करते हैं कि ये किताब हिंदी सिनेमा का वो दस्तावेज़ है जिसको वर्षों के शोध के बाद तैयार किया गया है. ये किताब हमें एक सिनेप्रेमी के जुनून से परिचित कराती है जो किस हद तक जाकर अपने चहीते कलाकारों की जानकारियां पाठकों को दे सकता है.
***
आज की किताबः भुला न देना...
लेखक: श्रीधर अग्निहोत्री
भाषा: हिंदी
विधा: नाॅन- फिक्शन
प्रकाशक: शिल्पायन बुक्स
पृष्ठ संख्या: 200
मूल्य: 395
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.