महिला बनने से कहीं ज़्यादा कठिन है पुरुष होना! Caitlin Moran | औरतनामा | Shruti Agarwal | EP 40 | Tak Live Video

महिला बनने से कहीं ज़्यादा कठिन है पुरुष होना! Caitlin Moran | औरतनामा | Shruti Agarwal | EP 40

दुनिया की आधी आबादी महिलाओं पर लिखते हुए यह भूल ही गई कि बाकी की आधी आबादी में पुरुष भी आते हैं...' आज साहित्य तक की खास पेशकश 'औरतनामा' में बात हो रही है ब्रिटिश नारीवादी पत्रकार और लेखिका केटलीन मोरन की. केटलीन ने अपने लेखन की यात्रा 'हाउ टू बी ए वुमन', 'हाउ टू बिल्ड ए गर्ल', 'मोर देन ए वुमन' जैसी नारीवादी किताबों से की. इन पुस्तकों में वह बताती हैं कि एक स्त्री को रचने के लिए समाज कितने यतन-जतन करता है मगर यह भूल जाता है कि सामाजिक रूप से एक आदर्श महिला बनाने के लिए वह एक स्त्री, एक नारी का कितना शोषण करता है.

पत्रकार और लेखिका केटलीन मोरन के लेखन का सफर यूं तो महिलाओं की समस्याओं और उनसे जुड़े सामाजिक ताने-बाने को लेकर हुआ था लेकिन कुछ समय के बाद उन्होंने अपने कार्यक्रमों में महसूस किया कि नारीवादी आंदोलन के बढ़ते स्वरूप के कारण पुरुष, खासकर किशोर लड़के बेहद परेशान हैं. वे अब खुद को एक खास ढांचे में ढालना चाहते हैं. समाज उन पर एक अलग तरह का दबाव डाल रहा है. इस संदर्भ में भी उन्होंने कई रचनाएं रचीं. उन्होंने हर सामाजिक ताने बाने को जांचा उनकी छानबीन की और ना सिर्फ महिलाओं बल्कि आदर्श पुरुष कैसे हों इस दबाव के बारे में भी कई अनछुए पहलुओं को अपनी किताबों के जरिए उकेरा.


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ये वे लेखिकाएं हैं, जिन्होंने न केवल लेखन जगत को प्रभावित किया, बल्कि अपने विचारों से समूची नारी जाति को एक दिशा दी. आज का युवा वर्ग कलम की इन वीरांगनाओं को जान सके और लड़कियां उनकी जीवनी, आजाद ख्याली के बारे में जान सकें, इसके लिए चर्चित अनुवादक, लेखिका, पत्रकार और समाजसेवी श्रुति अग्रवाल ने 'साहित्य तक' पर 'औरतनामा' के तहत यह साप्ताहिक कड़ी शुरू की है. आज इस कड़ी में श्रुति एक मज़बूत पत्रकार और नारीवादी लेखिका 'केटलीन मोरन' के जीवन और लेखन की कहानी बता रही हैं. 'औरतनामा' देश और दुनिया की उन लेखिकाओं को समर्पित है, जिन्होंने अपनी लेखनी से न केवल इतिहास रचा बल्कि अपने जीवन से भी समाज और समय को दिशा दी.