मुस्लिम वर्ग में बौद्धिक नेता? Hilal Ahmed on A Brief History of the Present: Muslims in New India | Tak Live Video

मुस्लिम वर्ग में बौद्धिक नेता? Hilal Ahmed on A Brief History of the Present: Muslims in New India

- अपने इतिहास को जानने की ज़रूरत क्यों?

- भारत के किसी भी राजनीतिक दल ने पसमांदा विंग क्यों नहीं बनाया ?

- भाजपा का रुझान पसमांदा मुसलमानों में क्यों?

- उसूली दूरी क्यों ज़रूरी?

- मुस्लिम वर्ग में कोई बौद्धिक नेता है?

- मुसलमानों का नेतृत्वकर्ता कौन?

- इस्लाम किस तरह से बदला है?

- मुस्लिम लीग औरंगज़ेब की विरोधी क्यों थी?

- कौन से धर्म की आलोचना होनी चाहिए?

- धर्म सुधारकों की ज़रूरत क्यों?


ऐसे बहुतेरे सवाल और उनके जवाब जवाब देने के लिए आज साहित्य तक के खास कार्यक्रम 'शब्द-रथी' में हमारे साथ चर्चित मौजूद हैं सेंटर फ़ॉर द स्टडी ऑफ़ डेवलपिंग सोसाइटीज़ (सीएसडीएस), नई दिल्ली में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हिलाल अहमद. हिलाल राजनीतिक इस्लाम, भारतीय लोकतंत्र और दक्षिण एशिया में प्रतीकों की राजनीति पर काम करते हैं. सीएसडीएस के लोकनीति कार्यक्रम से जुड़े हुए हैं.

वह 'मुस्लिम पॉलिटिकल डिस्कोर्स इन पोस्टकोलोनियल इंडिया: मॉन्यूमेंट्स, मेमोरी, कॉन्टेस्टेशन', 'अल्लाह नाम की सियासत', 'सियासी मुस्लिम: ए स्टोरी ऑफ पॉलिटिकल इस्लाम इन इंडिया' और पीटर आर डिसूजा और संजीर आलम के साथ 'डेमोक्रेटिक एकोमोडेशन: माइनॉरिटीज इन कंटेम्पररी इंडिया' लिखी है. उन्होंने पीटर आर डिसूजा और संजीर आलम के साथ 'कम्पैनियन टू इंडियन डेमोक्रेसी: रेजिलिएंस, फ्रैगिलिटी, एम्बिवेलेंस' और आरके. मिश्रा और के. एन. जहांगीर के साथ 'रीथिंकिंग मुस्लिम पर्सनल लॉ: इश्यूज, डिबेट्स एंड रिफॉर्म्स' और 'सुदीप्त कविराज: ए रीडर' का संपादन भी किया है. अहमद ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ साउथ एशियन स्टडीज की पत्रिका साउथ एशियन स्टडीज के एसोसिएट एडिटर हैं और सीएसडीएस की हिंदी पत्रिका 'प्रतिमान 'की संपादकीय टीम का भी हिस्सा हैं.

अहमद अंग्रेजी और हिंदी में अकादमिक पत्रिकाओं, समाचार पत्रों और वेबसाइटों के लिए लिखते हैं. उन्होंने दो वृत्तचित्रों का निर्माण किया है, जिनके नाम हैं 'एनकाउंटरिंग द पॉलिटिकल जामा मस्जिद' और 'कुतुब: एक अधूरा अफसाना'. आपने एक अकादमिक मोबाइल ऐप SHARC-DILLI की संकल्पना और विकास भी किया है, जो दिल्ली शहर पर एक ऐप है. अहमद को राज्यसभा फेलोशिप, एशिया फेलो अवार्ड, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज फेलोशिप, फोर्ड फाउंडेशन-आईएफपी फेलोशिप, एटीआरआई-चैरिटीज एड फाउंडेशन फेलोशिप और यूजीसी सीनियर रिसर्च फेलोशिप और यूजीसी जूनियर रिसर्च फेलोशिप मिल चुकी है.

'A Brief History of the Present: Muslims in New India' पुस्तक में हिलाल अहमद ने नए भारत में मुस्लिम जीवन के विभिन्न पहलुओं - ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक के साथ हिंदुत्व के संबंधों का विश्लेषण किया है.

* मुस्लिम समाज की आंतरिक विविधता?

* पसमांदा राजनीति की जटिलताएं

* भारत के मुसलमानों में औरंगजेब के प्रति स्नेह की कमी

* वह अतीत से भविष्य के लिए सबक लेते हैं.

संतुलित और संयमित विवेचन, वर्तमान हो या इतिहास, हिलाल अहमद के निष्कर्ष और आकलन भावुकता से दूर हैं. अहमद की नवीनतम पेशकश मध्यम मार्ग पर चलती है. इन विषम परिस्थितियों में यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है.

हिलाल अहमद से बातचीत के दौरान पता चलता है कि उन्होंने 'नए भारत' में मुसलमानों के स्थान की कुशलता से जांच की है. गुणात्मक और मात्रात्मक शोध के अपने करियर के आधार पर, वह हिंदू राष्ट्रवादी आधिपत्य के युग में 'मुस्लिम होने' के बारे में असहज सवाल पूछते हैं और उनका जवाब देते हैं. पेंगुइन इंडिया से प्रकाशित हिलाल अहमद की 'A Brief History of the Present: Muslims in New India' पुस्तक में कुल 256 पृष्ठ हैं और इस पुस्तक का मूल्य है 699 रुपए. ये किताब उदारवादियों और रूढ़िवादियों दोनों द्वारा प्रचारित लोकप्रिय तर्कों को चुनौती देती है. तो 'शब्द-रथी' कार्यक्रम में हिलाल अहमद संग वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय की इस दिलचस्प बातचीत को आप भी सुनें, सिर्फ़ साहित्य तक पर.