ये करवा चौथ का व्रत बहुत पहले आसान तो न था
आसान तो अब भी नहीं
पर अब आभासी प्रसन्नता की चादर बाज़ारों से घरों तक फैली हुई है... किरण प्रजापति की यह कविता सुनिए सिर्फ़ साहित्य तक पर