चाहे कोई हरिजन नाममात्र को एक ईसाई, मुस्लिम या हिन्दू और अब एक सिख हो जाए, वह तब भी रहेगा एक हरिजन ही. वह तथाकथित हिन्दू धर्म से विरासत में प्राप्त धब्बों को नहीं मिटा सकता, चाहे वह अपनी वेश-भूषा बदलकर स्वयं को कैथोलिक हरिजन या मुस्लिम हरिजन या नव मुस्लिम या नव सिख कहला ले, किन्तु उसकी अस्पृश्यता पीढ़ियों तक उसका पीछा नहीं छोड़ेगी- महात्मा गांधी... लेखक, राजनेता अली अनवर ने अपनी किताब से देश के एक बड़े तबके की उस पीड़ा को आवाज दी है, जिसके नाम पर सियासत तो खूब होती है, पर जिनके हालात बदलने के लिए कोई कुछ ठोस नहीं करता. अपने ही देश में बुनियादी अधिकारों के लिए जूझते एक बड़े वर्ग की मार्मिक सच्ची दास्तां.आज की किताबः 'सम्पूर्ण दलित आन्दोलन: पसमान्दा तसव्वुर'
लेखक: अली अनवर
भाषा: हिंदी
विधा: दलित विमर्श
प्रकाशक: राजकमल पेपरबैक्स
पृष्ठ संख्या: 208
मूल्य: 199 रुपए
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.