पुस्तकें आपके ज्ञान को बढ़ाती हैं, साथ ही आपका मनोरंजन भी करती हैं. इनसे बेहतर आपका कोई दोस्त नहीं हो सकता. ये भाषा और विचारों के स्तर पर आपको समृद्ध करती हैं, तो दुनिया-जहान की बातें भी आपको बताती हैं. इसीलिए 'साहित्य तक' के 'बुक कैफे' में 'एक दिन, एक किताब' के तहत हर दिन किसी न किसी पुस्तक की बात होती है.
इसके निमित्त प्रकाशकों का भरपूर सहयोग भी साहित्य तक को मिलता रहा है, और आप सबके लिए हमारे पास हर सप्ताह ढेरों किताबें आ रही हैं. पुस्तकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक भी पुस्तक चर्चा से छूट न जाए, इसलिए हम 'किताबें मिली' कार्यक्रम के तहत उन पुस्तकों की जानकारी आपको दे रहे हैं, जो 'बुक कैफे' में चर्चा के लिए हमें प्राप्त हुई हैं. पहले सप्ताह में एक दिन होने वाला यह कार्यक्रम अब सप्ताह में दो बार आपके पास आ रहा है. यह 'बुक कैफे' की ही एक श्रृंखला है, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय आपको उन पुस्तकों की जानकारी दे रहे हैं. इस सप्ताह हमें अलग-अलग प्रकाशनों से पुस्तकें प्राप्त हुई हैं, जिनमें वणिका पब्लिकेशंस से प्रकाशित नीलम कुलश्रेष्ठ की 'गुमशुदा क्रेडिट कार्ड्स', विद्या विकास एकेडेमी से प्रकाशित सुबोध कुमार नंदन की 'बिहार के पर्व-त्योहार और खानपान', श्रीजा पब्लिशर्स से प्रकाशित लोकेश गुलियानी की 'लड़कियाँ होंगी', अधिकरण प्रकाशन से प्रकाशित वन्दना गुप्ता की 'वेरा ये स्वप्न नहीं तुम्हारा समय है', यश प्रकाशन से प्रकाशित चंद्र भूषण की 'चुनाव जीतने के अचूक नुस्खे', लिटिल बर्ड पब्लिकेशंस से प्रकाशित प्रकाश मनु की 'प्रकाश मनु की श्रेष्ठ बाल कहानियाँ' और अंतिका प्रकाशन से प्रकाशित अरुण शर्मा की 'नहान' शामिल हैं. पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए साहित्य तक की इस पहल के साथ जुड़े रहें. हर सप्ताह ठीक शनिवार और रविवार इसी समय यहां आप जान सकते हैं कि किस प्रकाशक विशेष की कौन सी पुस्तकें, हमें यानी साहित्य तक को 'बुक कैफे' में चर्चा के लिए मिली हैं.