'डेड एंड' पद्मेश गुप्त की कहानियों का नवीनतम संग्रह है. पद्मेश गुप्त के लेखन में मूल्यों के टकराव का सजीव चित्रण है. 'तिरस्कार', 'डेड एंड', 'कब तक' मिली-जुली संस्कृति के टकराव को बखूबी चिह्नित करती हैं. पद्मश जी रफ़्तार से कहानी आगे बढ़ाते हैं और अन्त तक आकर पाठक को अपने कथा-संसार में शामिल कर लेते हैं. समाज, धर्म, राजनीति, संस्कृति से लेकर व्यक्तिगत सम्बन्ध तक अलग विषयों को छूती ये कहानियां पिछले वर्षों में अलग-अलग पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं जिन्हें पाठकों ने सराहा है.
****
आज की किताबः डेड एंड: प्रवासी अनुभूतियों को प्रतिबिम्बित करती कहानियाँ
लेखक: पद्मेश गुप्त
भाषा: हिंदी
विधा: कहानी-संग्रह
प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
पृष्ठ संख्या: 99
मूल्य: 295
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.