वे पेड़ अब ज्यादा सुंदर हो गए हैं... Asteek Vajpeyi का कविता-संग्रह 'उम्मीद' | EP 740 | Sahitya Tak | Tak Live Video

वे पेड़ अब ज्यादा सुंदर हो गए हैं... Asteek Vajpeyi का कविता-संग्रह 'उम्मीद' | EP 740 | Sahitya Tak

मेरे पास न केवल एक बुरे कवि

का अकेलापन है, ढेरों

कमाल के लेखकों का भी अकेलापन है

केवल एक डरे हुए आदमी का

सहमा-सा सच नहीं है, सैकड़ों

आसमान में बादलों से भीषण गरजने

वाले सच हैं...


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आज की किताबः 'उम्मीद'

सम्पादक: आस्तीक वाजपेयी

भाषा: हिंदी

विधा: कविता

प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन

पृष्ठ संख्या: 110

मूल्य: 395 रुपए


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.