लेखन विधा विशेष की मुहताज नहीं! Vinay Kumar का काव्य-नाटक 'आत्मज' | EP 950 | Sahitya Tak
विनय कुमार के काव्य-नाटक आत्मज को आधुनिक हिन्दी रंगमंच को आन्दोलित करनेवाले काव्य नाटकों की परम्परा से जोड़कर देखा जा सकता है. कवि ने अपने इस नाटक के कथ्य को एक विलक्षण शैलीबद्धता के साथ अभिव्यक्त किया है. इस शैलीबद्धता में कहीं शब्दों के माध्यम से, तो कहीं शब्दों के बीच छिपी अमूर्त दृश्यता के माध्यम से जीवन का यथार्थ चाक्षुष रूप ग्रहण करता है.
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आज की किताबः आत्मज
लेखक: विनय कुमार
भाषा: हिंदी
विधा: काव्य-नाटक
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
पृष्ठ संख्या: 94
मूल्य: 199
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.