Britishers क्रूर थे! Bahadur Shah Zafar 'आख़िरी मुग़ल बादशाह का कोर्ट-मार्शल' | Rajgopal Singh Verma
कितना है बद-नसीब 'ज़फ़र' दफ़्न के लिए
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में...
- बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र
यह पुस्तक में आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र की बदनसीबी से अधिक फिरंगी शासकों की क्रूरता की कहानी है, जो यह सोचने पर बाध्य कर देती है कि जिनके शासनकाल में सूर्य कभी अस्त नहीं होता था, वे एक बुजुर्ग बादशाह के प्रति इतने अमर्यादित और निष्ठुर थे. इस पुस्तक में बर्तानवी शासकों की मनमानी, गैरकानूनी तथा अवैधानिक कार्यवाहियों को दस्तावेज़ के रूप में दर्ज किया गया है, जिसको कोई भी सभ्य विश्व समुदाय सहमति नहीं दे सकता. लेखक ने उस कालखंड के विवरणों को बहुत बारीकी से अपनी कल्पना के मिश्रण के साथ दर्ज किया है, साथ ही बहादुर शाह ज़फ़र पर चलाये गये अवैधानिक मुकदमे 'कोर्ट-मार्शल' की सरकारी कार्यवाही का पूरा विवरण भी परिशिष्ट के रूप में उपलब्ध कराया है. इस कार्यवाही को पढ़ने, सरकारी पक्ष, साक्ष्यों, अभिलेखों और प्रक्रियाओं के अवलोकन से ब्रिटिश प्रशासन की नीयत और मंशा आसानी से समझ आ जाती है कि वे एक असक्त बुजुर्ग बादशाह से भी कितना भयभीत थे, और यह भी कि वह उनकी सेना के कोई अधिकारी नहीं थे, जिन पर 'कोर्ट-मार्शल' चलता.
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आज की किताबः आख़िरी मुग़ल बादशाह का कोर्ट-मार्शल
लेखक: राजगोपाल सिंह वर्मा
भाषा: हिंदी
विधा: इतिहास
प्रकाशक: सेतु प्रकाशन
पृष्ठ संख्या: 376
मूल्य: 399
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.