Police वैसी ही नहीं, जैसी दिखती है | Badri Prasad Singh की 'यादों का आइना' | EP 920 | Sahitya Tak | Tak Live Video

Police वैसी ही नहीं, जैसी दिखती है | Badri Prasad Singh की 'यादों का आइना' | EP 920 | Sahitya Tak

बद्रीप्रसाद सिंह ने लम्बे समय तक पुलिस अधिकारी के रूप में अपना जीवन जिया है और अपने खट्टे-मीठे अनुभवों को 'यादों का आइना' पुस्तक में लिपिबद्ध करके पुलिस-विभाग की कार्यशैली, अच्छे-बुरे पुलिस अधिकारियों के कार्य-व्यवहार तथा समाज के ज्वलंत मुद्दों की विवेचना की है. वे एक पुलिस अधिकारी के रूप में जिस तरह ईमानदार, स्पष्टवक्ता व स्वाभिमानी रहे हैं, उसी तरह एक लेखक के रूप में भी वे ईमानदारी व सहजता से अपनी लेखनी को सबके सामने रख रहे हैं.


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आज की किताबः 'यादों का आइना'

लेखक: बद्रीप्रसाद सिंह

भाषा: हिंदी

विधा: संस्मरण

प्रकाशक: सर्व भाषा ट्रस्ट

पृष्ठ संख्या: 248

मूल्य: 349


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.