श्मशान के निकट रहते हुए, लोग भयभीत नहीं...Shirish Kumar Mourya | कविता संग्रह 'धर्म वह नाव नहीं'
अन्न माँगो उस घर से
जो विपन्न हो
उजड़ा हो दुर्भिक्ष में उस गाँव जाओ
उस व्यक्ति से मिलो
जिससे मिलना सबसे सरल हो
और जिसकी तरह जीना
सबसे कठिन
भिक्षु
अभी तो दीक्षा का आरम्भ है
करुणा पर चर्चा
फिर कभी
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आज की किताबः धर्म वह नाव नहीं
लेखक: शिरीष कुमार मौर्य
भाषा: हिंदी
विधा: कविता
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन समूह
पृष्ठ संख्या: 158
मूल्य: 250 रुपये
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.