उनके लेख चाकू की धार की तरह हैं... Annie Ernaux | Nobel Prize Winner | औरतनामा | Shruti Agarwal
फ्रेंच लेखिका एनी एर्नो का जन्म 1940 में हुआ और वे नॉर्मंडी के छोटे से शहर यवेटोट में पली-बढ़ीं. उनके माता-पिता की एक किराने की दुकान और कैफे था. वह बचपन से महत्वाकांक्षी थी. अपने लेखन में, एनी लगातार और विभिन्न तरीकों से, लिंग, भाषा और वर्गों के आधार पर फैली असमानताओं पर लिखती रहीं. लेखन का उनका सफर लंबा और कठिन रहा. नोबेल विजेता एनी का मानना है कि लेखन वास्तव में एक राजनीतिक कार्य है, जो सामाजिक असमानताओं के प्रति हमारी आंखें खोलता है. इस उद्देश्य के लिए वह भाषा का प्रयोग 'चाकू' के रूप में करती हैं, जिससे कि वह कल्पना के पर्दों को फाड़ सकें. नोबेल कमेटी ने कहा कि एनी लेखन की मुक्ति शक्ति में विश्वास करती हैं. उनका काम तुलना से परे है और साधारण भाषा में लिखा साफ-सुथरा साहित्य है. उनकी किताब 'द इयर्स' में 1940 से लेकर 2007 तक के फ्रांस का सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास की किस्सागोई है. उनकी डायरी के अंश 'आई स्टे इन डार्कनेस', 'गेटिंग लॉस्ट' और 'डायरी ऑफ द आउटसाइटर' बड़ी बेबाकी से लिखी किताबें हैं. जिसमें वे सुपरमार्केट, गार्डन, पार्क, पेरिस मैट्रो जैसे सार्वजनिक स्थानों पर दूसरों के साथ अपनी मुलाकातों का वर्णन करती हैं.
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ये वे लेखिकाएं हैं, जिन्होंने न केवल लेखन जगत को प्रभावित किया, बल्कि अपने विचारों से समूची नारी जाति को एक दिशा दी. आज का युवा वर्ग कलम की इन वीरांगनाओं को जान सके और लड़कियां उनकी जीवनी, आजाद ख्याली के बारे में जान सकें, इसके लिए चर्चित अनुवादक, लेखिका, पत्रकार और समाजसेवी श्रुति अग्रवाल ने 'साहित्य तक' पर 'औरतनामा' के तहत यह साप्ताहिक कड़ी शुरू की है. आज इस कड़ी में श्रुति 'फ्रेंच लेखिका एनी एर्नो' के जीवन और लेखन की कहानी बता रही हैं. 'औरतनामा' देश और दुनिया की उन लेखिकाओं को समर्पित है, जिन्होंने अपनी लेखनी से न केवल इतिहास रचा बल्कि अपने जीवन से भी समाज और समय को दिशा दी.