भूलना हमेशा एक फैसला है... 'संयोगवश' | Ashutosh Dubey | Sanjeev Paliwal | Sahitya Tak
एक अफवाह में सच की जितनी छाया होती है
धुएं में आग की जितनी सूचना
एक सिसकी में जितने दुख का पता मिलता है
उस न्यूनतम के सुनसान में
हमें जाननी होती है समूची कथा
उसके ब्यौरों के घटाटोप से बचते हुए
जिनमें चीजें एक-दूसरे को कुचलते हुए एक भगदड़ में नजर आती हैं
हमें बहुत एहतियात से छूना होते हैं
उस मर्म के पंख
जिनके रंगों की धूल
उँगलियों के पोरों पर चमकने लगती है
एक स्वप्न में उतरने के लिए
उस जाग में विनम्र प्रवेश की जरूरत होती है
जिसका रसायन एक नींद के विस्तार पर फैला हुआ है....यह कविता आशुतोष दुबे के कविता- संग्रह 'संयोगवश' से ली गई है. इस संग्रह को राजकमल पेपरबैक्स ने प्रकाशित किया है. कुल 120 पृष्ठों के इस संग्रह का मूल्य 199 रुपए है. अपनी आवाज़ से कविताओं, कहानियों को एक उम्दा स्वरूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार और लेखक संजीव पालीवाल से सुनिए इस संग्रह की चुनिंदा कविताएं सिर्फ़ साहित्य तक पर.