पता नहीं मैं क्यों आया बंद दरवाज़ा खटखटाया... Udayan Vajpeyi की 'खुली आँख और अन्य कविताएँ' | EP 863
एक नया दुख
पुराने सारे दुखों को अपने पास खींचता है
एक विछोह सारे विछोहों को
जीवन्त कर देता है एक बार फिर
दिल पर लगे घाव मानो
चादर ओढ़े पड़े रहते हैं
ज़रा-सी आहट हुई नहीं कि
उठकर बैठ जाते हैं सारे के सारे
डरो, मेरे मन, डरो...
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आज की किताबः 'खुली आँख और अन्य कविताएँ'
लेखक: उदयन वाजपेयी
भाषा: हिंदी
विधा: कविता
प्रकाशक: राजकमल पेपरबैक्स
पृष्ठ संख्या: 162
मूल्य: 250
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.