Delhi Metro में इश्क लड़ाते निब्बा-निब्बी, बुजुर्गों की चुहल-गाथा है Devesh का 'मेट्रोनामा' | EP 928
जैसा यह दिल्ली महानगर है, वैसी ही परतदार हैं मेट्रोनामा की ये कहानियां. किताब में बहुत कुछ गांव से आए देहाती परिवारों की ठसक, शहर में काम करने वाले मज़दूरों के सपने, रंग-बिरंगे गुन-गुन करते बच्चे, कुनमुनाते-झींखते अंकल-आंटियां, मेट्रो के दिलजले कमेंटबाज़, हक़ के लिए ज़िद ठाने लड़कियां और शाइस्ता बुजुर्ग वग़ैरह-वग़ैरह. इतने तरह के लोगों की इतनी जीवित कहानियों से गुज़रते हुए आप मुस्कराएंगे, हंसेंगे, उदास होंगे और कई बार आपकी आंखें भर आएंगी। मेट्रोनामा सिर्फ़ मेट्रो की कहानियों का गुलदस्ता नहीं है. यह मेट्रो के भीतर और बाहर बदलते शहर, रिश्तों और ज़िन्दगी का आईना है. यह किताब समग्रता में मेट्रो सिटी का एक नया ही नक़्शा खींचती है, जो आमतौर पर हमसे अनदेखा रह जाता है. इस नई नज़र की दिल्ली मेट्रो में आपका स्वागत है!
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आज की किताबः 'मेट्रोनामा: हैशटैग वाले क़िस्से'
लेखक: देवेश
भाषा: हिंदी
विधा: कहानी
प्रकाशक: सार्थक प्रकाशन
पृष्ठ संख्या: 204
मूल्य: 250
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.