Desh Bhakti Kavita | मैं माटी का हूं सपूत मोल चुकाने आया हूं...Sushil Kushwaha | Mike Ke Lal
झोंका हूं हवा का बहक जाने दो मुझे
उड़ते परिंदों की तरह चहक जाने दो मुझे
यूं तो खुशनुमा अहसास हूं ज़माने के लिए
कह दो उनसे इत्र हूं महक जाने दो मुझे....'साहित्य आज तक लखनऊ 2024' में आयोजित माइक के लाल में सुनें सुशील कुशवाहा की यह कविता.