सुंदर स्त्रियां जानना चाहती हैं मेरा रहस्य.. मेरी यातना के अन्त में एक दरवाज़ा था | Rashmi Bharadwaj
आज रात, हम साथ हैं
लेकिन कल तुम गुम हो जाओगे
ज़िंदगी की बेरहमी का शुक्रिया
समन्दर हमें अलग कर देंगे...
ओह! ओह! काश मैं तुम्हें देख पाती
लेकिन मुझे कभी पता नहीं चलेगा
तुम्हारे क़दम तुम्हें कहां ले गये,
कौन सी राहें चुनी तुमने,
किन अनजान मंजिलों की ओर
बाध्य थे तुम्हारे पांव... यह पंक्तियां माया एंजलो की कविता 'असाधारण स्त्री' से ली गई हैं. 'मेरी यातना के अन्त में एक दरवाज़ा था' कविता-संग्रह में 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 21वीं सदी की विश्व स्त्री कविता को दर्ज किया गया है. विश्व की बारह स्त्री कवियों द्वारा लिखी गयी इन चुनिंदा कविताओं अनुवाद रश्मि भारद्वाज ने किया है.
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आज की किताबः 'मेरी यातना के अन्त में एक दरवाज़ा था'
चयन एवं अनुवाद: रश्मि भारद्वाज
भाषा: हिंदी
विधा: कविता
प्रकाशक: सेतु प्रकाशन
पृष्ठ संख्या: 231
मूल्य: 350
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.